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300 लाख करोड़ होगा म्यूचुअल फंड एयूएम

10-12-2025


नई दिल्ली : देश के म्यूचुअल फंड उद्योग में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।

इसका अनुमान है कि 2035 तक म्यूचुअल फंड उद्योग का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 300 लाख करोड़ के पार पहुँचने का अनुमान है।

क्रेरालिन्ग फर्म रेन एंड कंपनी और इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो की रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स यानी शेयरों में निवेशकों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी के 250 लाख करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है।

'हॉट इंडिया इन्वेस्टमेंट्स' नाम की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दशक में भारतीय घरों में म्यूचुअल फंड की पहुँच 10 प्रतिशत से दोगुनी होकर 20 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में वृद्धि की अगली लहर मजबूत डिजिटल साक्षरता, सहायक नियामक और बढ़ते निवेशक विश्वास से प्रेरित होगी। वहीं इक्विटी हिस्सेदारी में अपेक्षित वृद्धि का श्रेय लगातार डिजिटल रूप से संचालित पहुंच और मजबूत बाजार प्रदर्शन को जाता है, साथ ही सट्टेबाजी वाली वाली ट्रेडिंग से लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग की ओर बदलाव को दिया जा सकता है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने डेरिवेटिव बाजार में अत्यधिक सट्टेबाजी को रोकने और जोखिम को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। ये नियम निवेशकों को सट्टेबाजी वाले फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (एफ एंड ओ) ट्रेडिंग को खुदरा भागीदारी के लिए कम सुलभ और अधिक महंगा बनाकर अधिक स्थिर साधनों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

सेबी के हालिया अध्ययन से पता चला है कि वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2023-24 के बीच इक्विटी एफएंडओ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स) में 93 प्रतिशत व्यक्तिगत ट्रेडर्स को नुकसान हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केट में जेन-जी (1997-2012 के बीच जिनका जन्म हुआ) और मिलेनियल्स (1981-96 के बीच, जिनका जन्म हुआ) समूह से लगभग नौ करोड़ अतिरिक्त रिटेल निवेशकों के आने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण डिजिटल तकनीक को अपनाना और बढ़ती वित्तीय साक्षरता है।

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