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अनिल अंबानी की 1452 करोड़ रुपये की नई संपत्तियां जब्त

21-11-2025

नई दिल्ली : रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों से जुड़ी मनी लांड्रिंग जांच के तहत 1452 करोड़ रुपये की नई संपत्तियां जब्त की हैं। जांच एजेंसियों ने इससे पहले अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों की 7500 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं। इस प्रकार इस मामले में अब तक लगभग नौ हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

सूत्रों ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित इन संपत्तियों को जब्त करने के लिए मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अंतरिम आदेश जारी किया गया है। एजेंसियों के अनुसार, ये संपत्तियां नवी मुंबई, चेन्नई, पुणे और भुवनेश्वर में स्थित हैं। ईडी ने इस मामले में अगस्त में अनिल अंबानी से पूछताछ की थी। एजेंसियों ने उन्हें विदेश मुद्रा उल्लंघन के एक मामले में पूछताछ के लिए फिर से तलब किया है। इस महीने कम्युनिकेशंस में एस्सार ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच के सिलसिले में नई मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4462 करोड़ रुपये की 132 एकड़ से अधिक जमीन जब्त की थी। रिलायंस समूह के सूत्रों ने पहले कहा था कि धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी आरकॉम की संपत्ति है, जो पिछले छह वर्षों से दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही है।

मनी लांड्रिंग की जांच सीबीआई द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 406 और 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) एवं 13(1) (डी) के तहत दर्ज प्राथमिकियों पर आधारित है, जिसमें आरकॉम, अनिल अंबानी और अन्य का नाम शामिल है।

बैंकों से कर्ज लेकर म्यूचुअल फंड में निवेश

जांच से पता चला है कि एक कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज का इस्तेमाल समूह की अन्य कंपनियों का ऋण चुकाने, संबंधित पक्षों को हस्तांतरित करने या म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया गया। यह ऋण शर्तों का उल्लंघन था। एजेंसी ने आरोप लगाया कि 13,600 करोड़ से अधिक की क्रेडिट डायरेक्ट की गई, 12,600 करोड़ संबंधित पक्षों को दिए गए और लगभग 1,800 रुपये साथी जमा और म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए, जिन्हें बाद में समूह की कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया गया। कर्ज लेकर कुछ पैसे विदेश भी भेजे गए।

एजेंसी के अनुसार, आरकॉम और समूह की अन्य कंपनियों ने 2010 और 2012 के बीच घरेलू और विदेशी बैंकों से तरह-तरह के ऋणदाताओं से 40,185 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इसके बाद से नौ बैंकों ने समूह के ऋण खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया है।

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