Near Janipur Thana, Phulwari Sharif, Patna
एनआरसी नंबर मांगते ही भाग गए 168 संदिग्ध बांग्लादेशी
लखनऊ: उप्र में संदिग्ध बांग्लादेशियों की निगरानी तेज होने का असर दिखने लगा है। योगी सरकार की सख्ती के बाद खुद को असमिया बताकर सफाई कार्य से जुड़े संदिग्ध बांग्लादेशियों ने एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) नंबर मांगा तो वे नहीं दे पाए। यह नंबर असम के पूर्वजों तक का जिक्र से दिया गया है, जिसमें पूर्वजों तक का जिक्र है, जो साबित करता है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं हैं।
कुछ प्रबंधन देख रहे लखनऊ नगर निगम की तरफ से अधिकृत मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान प्रबंधन ने सफाई कर्मचारियों से एनआरसी नंबर मांगा तो 160 कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले गए। इससे साफ है कि उनकी असम की नागरिकता संदिग्ध है। पुलिस व खुफिया तंत्र के लिए जांच का विषय यह भी है कि ये 168 कर्मचारी कहाँ गए और अब क्या कर रहे हैं।
पिछले दो माह से सख्ती बढ़ने के साथ ही पुलिस ने भी नगर निगम में सफाई का ठेका पाई संस्थाओं से उन सफाई कर्मचारियों का एनआरसी नंबर मांगा था, जो अपने को असम का निवासी बताते हैं। मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान प्रबंधन के सीईओ अभय रंजन के अनुसार जून एक से 38, जोन चार से 70, जोन तीन और छह से 12-12, जोन सात से 36 कर्मचारी काम छोड़कर चुपचाप चले गए। महापौर सुषमा खर्कवाल का कहना है कि नगर निगम की टीम लगातार झोंपड़पट्टियों की सूची तैयार कर वहाँ रहने वालों का ब्योरा तैयार कर रही है। सभी ठेकेदारों से संदिग्ध बांग्लादेशियों के अभिलेख जमा कराने को कहा गया है, जिसका परीक्षण पुलिस को भेजकर कराया जाएगा। महापौर ने एक साल से संदिग्ध बांग्लादेशियों को शहर से बाहर करने का अभियान चला रखा है। इंदिरा नगर में पिछले साल उन्होंने संदिग्ध बांग्लादेशियों की बस्ती को हटवाया था। इसके बाद से लगातार अभियान चलाकर शहर में संदिग्ध बांग्लादेशियों की बस्तियों की जांच कराई गई थी। उधर, ठाकुरगंज के बरा बहराइची में हिंदू बनकर रह रही बांग्लादेशी महिला को एटीएस ने पिछले सप्ताह ही गिरफ्तार किया है। नर्गिस उर्फ जैसमीन उर्फ निर्मला वर्ष 2006 में बंगाल के रास्ते अपने बांग्लादेशी पति शमीर के साथ भारत में दाखिल हुई थी।
